देहरादून: उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबल भर्ती में आयु सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर उम्मीदवारों की चिंताओं के बीच बड़ा अपडेट सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार, भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद उसमें किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया जा सकता। इस फैसले के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा जारी भर्ती विज्ञापन में आयु सीमा में छूट मिलने की संभावनाएं कम हो गई हैं।
क्या है मामला?
उत्तराखंड पुलिस विभाग में 1600 पदों और पीएसी/आईआरबी में 400 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 29 नवंबर 2024 निर्धारित की गई थी। इस भर्ती में सामान्य उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 18 से 22 वर्ष तय की गई थी, जबकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम पांच वर्ष की छूट दी गई थी।
हालांकि, कई उम्मीदवारों ने यह मांग उठाई कि कोविड-19 और अन्य कारणों से भर्ती में देरी हुई, जिससे उनकी आयु सीमा पार हो गई। ऐसे में उन्होंने सरकार से उम्र में अतिरिक्त छूट देने की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला बना रोड़ा
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई। इसमें सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया है कि एक बार भर्ती विज्ञापन जारी हो जाने के बाद उसमें किसी तरह का संशोधन नहीं किया जा सकता। इस फैसले के मद्देनजर सरकार और आयोग ने स्पष्ट किया कि फिलहाल आयु सीमा में किसी प्रकार की छूट संभव नहीं है।
उम्मीदवारों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
आयु सीमा में छूट न मिलने से निराश कुछ उम्मीदवारों ने अब उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि कोविड-19 के चलते भर्ती में देरी हुई थी, ऐसे में उनके लिए एक बार छूट दी जानी चाहिए। उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई जारी है और अब सभी की निगाहें अदालत के निर्णय पर टिकी हैं।
विशेषज्ञों की राय
भर्ती प्रक्रिया पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आयु सीमा में छूट दी जाती है तो अधिक उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा, लेकिन इससे भर्ती प्रक्रिया में देरी हो सकती है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला भर्ती नियमों में किसी भी तरह के बदलाव की अनुमति नहीं देता, इसलिए सरकार को भी इस फैसले का पालन करना होगा।
क्या होगा आगे?
उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबल भर्ती में आयु सीमा बढ़ाने को लेकर कानूनी प्रक्रिया जारी है। अब उम्मीदवारों को उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि उन्हें कोई राहत मिलेगी या नहीं।