उत्तराखंड के चमोली जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक ने 16 वर्षों तक फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी की। लंबे समय तक चली जांच के बाद पुलिस ने आरोपी शिक्षक शिवकुमार सैनी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। चार महीने पहले ही शिक्षा विभाग ने उसे सहायक अध्यापक के पद से बर्खास्त कर दिया था।
फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर हासिल की थी नौकरी
शिवकुमार सैनी, जो रुड़की का रहने वाला है, ने साल 2008 में फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर प्राथमिक शिक्षक की नौकरी हासिल की थी। वह गैरसैंण ब्लॉक में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ा रहा था। जनवरी 2025 में मुख्य शिक्षा अधिकारी धर्म सिंह रावत ने चमोली जिले के गोपेश्वर थाने में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। जांच के दौरान शिक्षा विभाग को कई अनियमितताएं मिलीं, जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया था।
12वीं की फर्जी मार्कशीट से तैयार किए बाकी दस्तावेज
शिक्षा विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ कि शिवकुमार सैनी की 12वीं की मार्कशीट फर्जी थी। इसी जाली दस्तावेज के आधार पर उसने ग्रेजुएशन और B.Ed की डिग्री हासिल की, जिससे उसे सरकारी नौकरी मिल गई। हाल ही में जब शिक्षा विभाग ने प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया, तो सैनी की पोल खुल गई। 57 वर्षीय शिवकुमार की सेवानिवृत्ति में मात्र तीन साल ही बाकी थे, लेकिन 16 साल तक की गई धोखाधड़ी अब उसे सलाखों के पीछे ले गई है।
शिक्षा विभाग के बढ़ते सतर्कता प्रयास
राज्य सरकार द्वारा बीते कुछ वर्षों में शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया को तेज किया गया है। इस अभियान के तहत कई मामलों में फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षकों को पकड़ा गया है। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि जो भी शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
फर्जीवाड़े पर कैसे लगेगी लगाम?
- सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का डिजिटल सत्यापन अनिवार्य
- नियुक्तियों की पारदर्शिता के लिए AI आधारित वेरीफिकेशन सिस्टम
- जाली दस्तावेजों पर सख्त कानूनी कार्रवाई और बर्खास्तगी
अब देखना होगा कि शिवकुमार सैनी के अलावा और कितने फर्जी शिक्षकों का पर्दाफाश होता है। प्रशासन की इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है, और भविष्य में फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी पाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।